ये वाक्य उस वख्त का है जब शुक्रवार को घरेलू विवाद के चलते लड़का लड़की दोनों पक्ष के लोग देहरादून के महिला हेल्पलाइन में काउंसलिंग के लिए पहुंचे थे जहाँ काउंसलिंग के लिए बाहर बैठे दोनों पक्षों में किसी बात पर विवाद हो गया नौबत मारपीट तक आ गई जिसके बाद पुलिस दफ्तर परिसर में खड़े कर्मचारी और महिला हेल्पलाइन में आए तमाम लोग वहाँ एकत्रित हो गए और बीचबचाव करवाया गया तो वही जब लड़के पक्ष के लोग सरकारी वाहन इनोवा जिस पर उत्तराखंड सरकार का बोर्ड लगा था उनसे सरकारी वाहन के बारे में जानकारी मांगी गई तो आग बबूला हो गए और उल्टा पुलिस और पत्रकारों पर ही दूसरे पक्ष से मिले होने का आरोप लगाने लगे।वही सरकारी वाहन का वीडियो बनता देख आरोपबाजी करने लगे जानकारी के मुताबिक सरकारी वाहन में आए युवक का नाम गुलफाम है जोकि पटेलनगर के मेहुवाला का रहने वाला है अपने परिवार के साथ सरकारी वाहन में महिला हेल्पलाइन आए थे हालांकि सवाल ये है की टैक्सी नंबर वाहन नंबर (UK07TB1834) जो शासन के किसी विभाग में लगी है लेकिन चालक द्वारा इस परिवार को महिला हेल्पलाइन उसी गाड़ी में बैठा कर लाया गया लेकिन निजी काम के दौरान जब सरकारी वाहन में अधिकारी नही बैठे थे तो उत्तराखंड सरकार के नाम की पट्टी को क्यों ढका नही गया।।इतना ही नही उत्तराखंड सरकार की पट्टी के साथ ही गाड़ी में नीली बत्ती जलाते हुए भी नजर आए हालांकि सबसे बड़ी बात ये है कि इस गाड़ी में न ही अधिकारी बैठे थे और न उनका परिवार।।
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