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उत्तराखंड आरटीआई क्लब की सूचना भवन में बैठक।।
सूचना आयोग और आरटीआई क्लब के तमाम पदाधिकारी और सदस्य भी रहे मौजूद।।
सूचना आयोग के साथ आरटीआई क्लब की कई महत्वपूर्ण बिंदुओं पर चर्चा।।
शुक्रवार को सूचना आयोग में 3 घंटे चली इस बैठक में भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचारियों के विरुद्ध लगातार संघर्ष कर रहे आरटीआई एक्टिविस्ट माननीय आयुक्त द्वारा पिछले 6 महीने से दस्तावेज सबूतों और साक्ष्य को संज्ञान में लेते हुए अपील कर्ता एवं शिकायतकर्ता को अपनी न्याय की कलम से अपनी ड्यूटी को निभाते हुए निस्तारण कर रहे हैं और जनहित में बहुत सारे ऐसे निर्णय ले रहे हैं जिसमें प्रताड़ित जनता को न्याय मिल सके
- राज्य मुख्य सूचना आयोग में कैमरे लगे हैं लेकिन काम नहीं करते आयोग के बाहर कैमरे हैं आयोग के अंदर जहां सुनवाई होती है कैमरे होने जरूरी है
- राज्य मुख्य सूचना आयोग का मेन लैंडलाइन नंबर काम नहीं करता कभी भी फोन कर लो वहां कोई भी फोन नहीं उठाता अगर उठता भी है फोन तो घर घर की आवाज आती रहती है आयोग का व्हाट्सएप नंबर भी बंद है
- राज्य सूचना आयोग ईमेल आईडी व्हाट्सएप नंबर भी कई महीनों से ठप पड़ा है
- राज्य मुख्य सूचना आयोग में ज्यादातर वही व्यक्ति उपस्थित होते हैं जो भ्रष्टाचार व भ्रष्टाचारियों के विरुद संघर्ष लड़ रहे हैं उनकी सुरक्षा हेतु आयोग में कोई भी सुरक्षा व्यवस्थित नहीं है पुलिस चौकी और पुलिस थाना भी काफी दूर पड़ता है
- राज्य मुख्य सूचना के संज्ञान में लाना पड़ेगा की अधिनियम की धारा 19 (1) के तहत अपील योजित की जाती है अपील कर्ता को जो नोटिस ईशु किए जाते हैं उस पर अपीलीय अधिकारी का ना तो फोन नंबर ना ही ईमेल नंबर अंकित होता है जो कि अनिवार्य है
- राज्य मुख्य सूचना आयोग में सुनवाई के द्वारा कई न्यायालय में अधिनियम की धारा 19 (3) के तहत योजित अपील और शिकायतों में जो दस्तावेज उपलब्ध कराए जाते हैं उस पर आरटीआई की प्रमाणित मोहर श्रीमान लोक सूचना अधिकारी के साइन बा नाम अंकित नहीं होता जो कि अधिनियम के नियम का उल्लंघन है इसे संज्ञान में लेना आयोग का काम है वह अनिवार्य है
- आयोग द्वारा पारित आदेश में विपक्षियों को निर्देशित किया जाता है नियुक्त तिथि से पहले संबंधित दस्तावेज शिकायतकर्ता / अपील कर्ता को उपलब्ध कराई जाए किंतु आयोग के आदेश की आज तक पालना नहीं की गई
- आयोग द्वारा नियुक्त तिथि पर ही विपक्षियों के द्वारा दस्तावेज या अपना जवाबी प्रार्थना पत्र दिया जाता है शिकायतकर्ता और अपील कर्ता को उसे पढ़ने और उनके प्रार्थना पत्र का जवाब देने का समय भी आयोग के द्वारा प्रधान नही किया जाता और उनकी शिकायत और अपील को निरस्त किया जाता है जो कि अधिनियम के नियम का उल्लंघन है
- आयोग मे कुछ न्यायालय में आयुक्त को जो पूर्व से अपने पारित आदेश किए होते हैं विपक्षियों से उनका अनुपालन कराने में भी असमर्थ होते हैं विपक्षी गणों को लाभ पहुंचाने हेतु अपील कर्ता और शिकायतकर्ता द्वारा दायर जो कि दस्तावेज सबूतों को बड़ी मेहनत से एकत्रित करके आयोग में दाखिल करते हैं निरस्त कर दिया जाता है जिससे विपक्षी को लाभ और अपील कर्ता और शिकायतकर्ता को हानि पहुंचती है यह बहुत गंभीर विषय है क्योंकि भ्रष्टाचार के विरुद्ध सबूतों को इकट्ठा करने में बहुत लंबा समय लग जाता है
- सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 पूरे भारतवर्ष में सिर्फ जम्मू और कश्मीर को छोड़कर सब जगह लागू है और सब के नियम एक से ही हैं लेकिन उत्तराखंड में आयोग द्वारा निरस्त या खारिज किए गए हुए शिकायती प्रार्थना पत्र और द्वितीय अपील को रिवीजन रिकॉल का कोई भी प्रावधान नहीं है माननीय आयोग को संज्ञान में लेते हुए अन्य राज्यों की तरह इस पर भी यह नियम लागू होना चाहिए
- भ्रष्टाचार के विरुद्ध अधिनियम के नियमों से चलते हुए जो दस्तावेज व सबूत एकत्रित करके जो भारतीय नागरिक अपनी लड़ाई लड़ता है और उनके समक्ष जो दस्तावेज उपलब्ध कराता है बहुत दुर्भाग्य की बात है की कड़े संघर्ष लंबे समय बीत जाने के बाद जब आयोग की शरण में आता है अधिनियम की धारा 19 (3) के तहत कि उसे आयोग द्वारा न्याय मिलेगा किंतु उसे फिर से अधिनियम की धारा 19 (1) के तहत धकेल दिया जाता है जहां उसे न्याय की कोई उम्मीद नहीं होती
- माननीय आयोग के द्वारा कई निर्णय तो बहुत गंभीर और संवेदनशील किये जाते हैं जिससे व्यक्ति भूमाफिया भ्रष्टाचारियों के विरुद्ध अपने जान और माल को दांव पर लगाकर राज्य मुख्य सूचना आयोग में अपने केस की पैरवी के लिए आते हैं किंतु विपक्षी दोषी होते हुए भी अधिनियम की धारा 20 (1), 20 (2), 19 (8) ख 1967, 1969 के अंतर्गत माननीय आयोग के पास सिविल कोर्ट की सारी शक्तियां विद्यमान है लेकिन उन शक्तियों का बहुत ही कम उपयोग किया जाता है जिससे भ्रष्टाचारियों के हौसले बुलंद है और आरटीआई एक्टिविस्ट उनके आगे कमजोर हो जाते हैं यहां तक की होनहार एक्टिवेट इसी भ्रष्टाचार के चलते हुए भ्रष्टाचारियों विरोधियों के कारण कईयों की निर्मम हत्या कर दी गई है
समस्त आर टी आइ क्लब का प्रतिनिधि मंडल
डा.बी पी मैठाणी अध्यक्ष
सुश्री रीता सूरी उपाध्यक्ष
श्री अमर सिंह धुनता यहां सचिव
श्री शांति भट्ट सचिव
श्री सुरेन्द्र सिंह थापा संगठन सचिव
श्री अजय नारायण शर्मा संगठन सचिव
श्री बी डी जोशी अधिशासी सदस्य
श्री राकेश अग्रवाल संयोजक मसूरी
श्री के एन अग्रवाल अधिशासी सदस्य
आयोग के माननीय आयुक्त
श्री अनिल चन्द्र पुनेठा मुख्य सूचना आयुक्त
श्री विवेक शर्मा आयुक्त
श्री विपिन चन्द्र आयुक्त
श्री अर्जुनसिंह आयुक्त
श्री योगेश भट्ट आयुक्त
श्री अरविन्द पाण्डेय सचिव
श्री राजेश नैथानी सैक्सन आफिसर
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