जलवायु परिवर्तन होने का सबसे बड़ा असर ऊंची पहाड़ियों पर स्थित ग्लेशियरों पर पड़ रहा है जहां पहले बर्फबारी होती थी वहां अब बर्फबारी की जगह बरसात हो रही ही जिसके कारण ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे है और ग्लेशियर के पिघलने से बन रही झीलों का दायरा बढ़ता जा रहा है क्योंकि मलबे और मोरेन से बनी झीलों पर दबाव बढ़ने से झीलों के टूटने का खतरा भी बना हुआ है जोकि निचले इलाकों में बसे गांवों के लिए खतरा साबित हो सकता है इसीलिए सोमवार को सचिव आपदा प्रबंधन द्वारा वाडिया सहित तमाम भू-वैज्ञानिकों और ग्लेशियर पर काम कर रही संस्थाओं के साथ महत्वपूर्ण बैठक की गई ताकि निकट भविष्य में आने वाले खतरों से निपटने के लिए पहले से तैयारी की जा सके इसीलिए सचिव आपदा प्रबंधन द्वारा ग्लेशियरों की निगरानी के लिए मल्टी डीसीपिलिनरी टीम गठन करने का भी निर्णय लिया गया है ताकि समय से लोगों तक चेतावनी पहुंचाई जा सके साथ ही ग्लेशियरों और उनके पिघलने से बनी झीलों के बदलते स्वरूप पर नजर रखी जा सके और इस पर अध्ययन करेगी इसके साथ ही अध्य्यन की रिपोर्ट भारत सरकार को भी भेजी जाएगी ताकि ग्लेशियर लेक से उत्पन्न होने वाली आपदाओं के प्रभावी नियंत्रण के लिए कार्य किया जाएगा
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