उत्तराखंडदेहरादून

मूल निवास और भू-कानून को लेकर फिर आंदोलन की राह पर तमाम संगठन बड़ी संख्या में 24 दिसम्बर को देहरादून में स्वाभिमान महारैली का आयोजन

मूल निवास और सशक्त भू कानून को लेकर एक बार फिर उत्तराखंड में आंदोलन शुरू होने जा रहा है तमाम गैर राजनीतिक और राजनीतिक संगठन मूल निवास और भू कानून की मांग को लेकर 24 दिसंबर को देहरादून में एकजुट होकर महारैली का हिस्सा बनेंगे।

24 दिसंबर को उत्तराखंड की अस्थाई राजधानी देहरादून के परेड ग्राउंड में एकत्रित हो अपने आंदोलन को रूप देंगे… 1950 के मूल निवास को लागू किया जाए। मूल निवास के साथ ही प्रदेश में सशक्त भू कानून भी लागू करने की आवाज को बुलंद किया जा रहा है
वही विपक्ष में बैठी कांग्रेस ने भी मूल निवास स्वाभिमान महारैली को अपना समर्थन दिया है इसके अलावा उत्तराखंड क्रांति दल भी महारैली को समर्थन देने का ऐलान कर चुका है
वही राज्य गठन के आंदोलन में भूमिका निभाने वाले आंदोलनकारी भी चाहते हैं कि जिस अवधारणा से उत्तराखंड राज्य की लड़ाई लड़ी गई थी वो सपना आज भी अधूरा सा ही महसूस हो रहा है उत्तराखंड के मूल निवासी को भी नौकरियों में जगह नहीं मिल पा रही है। कहा कि 24 तारीख को होने वाली महारैली में बड़ी संख्या में एक बार फिर प्रदेसवासियो से जुटने की अपील भी की गई है ताकि जिन भावनाओ को लेकर राज्य का निर्माण हुआ उस अनुरूप को पूरा किया जा सके….

हालांकि इस पूरे मामलें पर राज्य सरकार भी गंभीर नजर आ रही है मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी की अध्यक्षता में मूल निवास के अध्ययन के लिए एक कमेटी का गठन कर दिया है इसके अलावा मूल निवास होने पर स्थाई निवास की बाध्यता को भी खत्म करने की बात कही है

ये है लोगों की मांग

मूल निवास कानून लागू हो,मूल निवास की कट ऑफ डेट की तारीख 26 जनवरी 1950 घोषित की जाए…

शहरी क्षेत्र में 250 मीटर भूमि खरीदने की सीमा लागू हो..

ग्रामीण क्षेत्रों में भूमि विक्री पर पूर्ण प्रतिबन्ध लगना चाहिए…

पर्वतीय क्षेत्र में गैर पर्वतीय मूल के निवासियों के भूमि खरीदने पर तत्काल रोक लगे…

गैर कृषक द्वारा कृषि भूमि खरीदने पर रोक लगे…

राज्य गठन के बाद से वर्तमान तिथि तक सरकार द्वारा विभिन्न व्यक्तियों, संस्थानों, कंपनियों आदि को दान तथा लीज पर दी गई भूमि का ब्यौरा सार्वजनिक किया जाए…

प्रदेश के विशेषकर पर्वतीय क्षेत्र में लगने वाले उद्योगों में स्थानीय ग्राम निवासी का 25% तथा जिले के मूल निवासी का 25 प्रतिशत हिस्सा अवश्य सुनिश्चित किया जाए..

ऐसे सभी उद्यमों में 80 प्रतिशत रोजगार स्थानीय व्यक्ति को सुनिश्चित किया जाये l

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