भारत मे बांग्लादेशी और रोहंगिया की अवैध घुसपैठ पर सख्ती,उत्तराखंड में बढ़ी कार्रवाई
CM Dhami directs officials to examine all documents prepared in the last ten years

भारत में बांग्लादेशी और रोहिंग्या नागरिकों की अवैध घुसपैठ को लेकर सुरक्षा एजेंसियों ने पूरे देश में निगरानी तेज कर दी है। फर्जी दस्तावेजों के सहारे बड़े पैमाने पर विभिन्न राज्यों में घुसपैठियों के छिपकर रहने की जानकारी सामने आने के बाद केंद्र और राज्य सरकारें अलर्ट पर हैं।तो वही उत्तराखंड में ऑपरेशन कालनेमि के तहत देहरादून, हरिद्वार और उधमसिंहनगर सहित कई जिलों में पुलिस और सुरक्षा एजेंसियां लगातार कार्रवाई कर रही हैं। हाल ही में देहरादून से 19 बांग्लादेशी नागरिक, जिनमें महिलाएं और पुरुष शामिल हैं, पकड़े जा चुके हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि इनमें से कुछ महिलाओं ने स्थानीय युवकों से विवाह कर बाकायदा गृहस्थी भी बसा ली ल।।
हाल ही में देहरादून पुलिस ने पिछले तीन दिनों में नेहरू कॉलोनी और पटेलनगर इलाके से 3 महिलाएं सहित 4 बांग्लादेशी नागरिकों को गिरफ्तार किया है, जो पिछले तीन वर्षों से पहचान बदलकर रह रहे थे।जबकि पुलिस इससे पहले भी दर्जन भर से ज्यादा बांग्लादेशियों को चिन्हित कर चुकी है जिनमे से कई लोगों को बांग्लादेश डिपोर्ट किया जा चुका है इन सभी के पास फर्जी आधार, राशन कार्ड और अन्य पहचान पत्र मिलने की बात सामने आई है।

वही सुरक्षा एजेंसियों के सामने सबसे बड़ी चुनौती इन फर्जी दस्तावेजों की जांच करना है। अभी तक की जांच में कई अनसुलझे सवाल हैं जिनका जवाब ढूंढना पुलिस के लिए चुनौती बना हुआ है जहाँ आम आदमी के लिए पहचान पत्र में नाम बदलाव, जन्मतिथि या पता बदलने के लिए बेहद कठिन प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है, लेकिन फर्जी दस्तावेज बनाने वाले लोग राशन कार्ड, आधार कार्ड, पैन कार्ड, वोटर कार्ड, यहां तक कि पासपोर्ट तक फर्जी तैयार कर दे रहे हैं। इससे बड़ा सवाल यह उठ खड़ा हुआ है कि आखिर यह नेटवर्क किन लोगों की मदद से संचालित हो रहा है।अभी तक अधिकतर मामलों में CSC सेंटर के द्वारा सभी दस्तावेज में बनाने की बात सामने आई है लेकिन इस बात से पर्दा नही उठ सका है कि आखिर आधार,राशन कार्ड और आयुष्मान कार्ड में लगने वाले जरूरी दस्तावेज कैसे वेरीफाई हो जा रहे है क्योंकि ये पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन होती है एक महत्वपूर्ण बात ये भी है कि क्या राशन कार्ड और आधार कार्ड बनाने के लिए कही फर्जी किराए नामे का इस्तेमाल तो नही किया जा रहा है जोकि जांच एजेंसियों के लिए सत्यापित करना बहुत जरूरी है
तो वही उत्तराखंड प्रदेश में तेजी से डेमोग्राफिक बदलाव को देखते हुए, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि पिछले दस वर्षों में जितने भी नए दस्तावेज बनाए गए हैं उन सभी का पूरा रिकॉर्ड खंगाला जाएगा, ताकि फर्जी दस्तावेजों की छटनी की जा सके और पता चल सके कि राज्य में किस तरह और कितनी तेजी डेमोग्राफिक बदलाव हो रहे है इसके साथ ही ये भी पता चल सकेगा कि कौन और कितने लोग फर्जी दस्तावेजों के आधार पर गलत तरीके से सरकारी योजनाओं का लाभ ले रहे हैं




